"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/रहीम": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १५०:
 
* छंद- दोहा , नीति का दोहा ,
 
 
 
'''रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ,'''
 
'''जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ ||'''