"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/रहीम": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति १५३:
 
 
'''९''' '''रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ,'''
 
'''जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ ||'''