"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/रहीम": अवतरणों में अंतर

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'''व्याख्या-''' रहीम जी कहते हैं कि जैसे आंसू आंखों से निकल कर सीधे की पीड़ा को व्यक्त कर देते हैं ठीक उसी प्रकार जिसे आप अपने घर से निकालोगे तो वह भी घर के रहस्य को सभी से जाकर बता देगा जैसे रावण ने विभीषण को घर से निकाला था तो फिर भीषण ने राम से रावण के सारे रहस्य को बता दिया |
 
 
'''विशेष-.'''
 
 
'''१०''' '''‘रहिमन’ प्रीति न कीजिए , जस खीरा ने कीन ।'''
 
'''ऊपर से तो दिल मिला, भीतर फांकें तीन ॥'''