"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/रहीम": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति १६७:
'''विशेष-.'''
पंक्ति १८१:
'''व्याख्या-''' रहीम दास जी कहते हैं कि छली कपटी व्यक्ति की तरह प्रेम नहीं करना चाहिए जो ऊपर से अच्छे दिखते हैं और अंदर से उनके दिल
'''विशेष-.'''
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