"व्यापारिक घरानों की सामाजिक जिम्मेदारी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Imleeindia (वार्ता | योगदान) छो कुछ वाक्यों को जोड़ा गया है टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
Billinghurst (वार्ता | योगदान) छो Imleeindia (Talk) के संपादनों को हटाकर अनुनाद सिंह के अन्तिम अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति ७:
इन उदाहरणों से एक बात तो स्पष्ट है कि भले ही कम संख्या में हों लेकिन देश में ऐसी कंपनियां अवश्य हैं जो अपनी सामाजिक जिम्मेदारी या सीएसआर का निर्वहन करती हैं। ये कंपनियां जहां स्थित हैं वहां के समुदाय के विकास कार्यो में संलग्न हैं। टाटा कंपनी ने ऐसा ही उदाहरण पेश करते हुए जमशेदपुर में अपने कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए शिक्षा एवं पूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में काफी काम किया है।
इस सबके बावजूद भारतीय माहौल में सीएसआर को बहुत कम तरजीह दी जाती है। अगर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की नवरत्न एवं मिनीरत्न कंपनियों और प्रसिद्ध बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा मुठ्ठी भर भारतीय कंपनियों को छोड़ दिया जाये तो अन्य कंपनियों में सीएसआर को लेकर एक भ्रम बना हुआ है। सामान्य रूप से इसे धर्मदान ही कहा जाता है। सामान्य रूप से कहें तो सीएसआर को कंपनियां खुद के लिए बोझ समझती हैं न कि उनके व्यापार का हिस्सा, इसलिए ही उनका रवैया संरक्षण परक और महज चेक बुक तक ही सिमटा हुआ है।
|