"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/भूषण": अवतरणों में अंतर
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'''विशेष:-''' शिवाजी की चतुरंगिणी सेना के प्रस्थान का अत्यन्त मनोहारी चित्रण किया है।
'''सबन के ऊपर ही ठाढ़ो रहिबे के जोग,'''
'''ताहि खरो कियो जाय जारन के नियरे .'''
'''जानि गैर मिसिल गुसीले गुसा धारि उर,'''
'''कीन्हों न सलाम, न बचन बोलर सियरे.'''
'''भूषण भनत महाबीर बलकन लाग्यौ,'''
'''सारी पात साही के उड़ाय गए जियरे .'''
'''तमक तें लाल मुख सिवा को निरखि भयो,'''
'''स्याम मुख नौरंग, सिपाह मुख पियरे.''''
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