"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/भूषण": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ११३:
'''व्याख्या :''' जो सरजा शिवाजी मुगल दरबार में सबसे ऊपर खड़े होने योग्य थे उनको अपमानित करने की नियत से औरंगजेब ने उन्हें छःहजारी मनसबदारों की पंक्ति में खड़ा कर दिया। अपने प्रति किये गये इस अनुचित व्यवहार से गुस्साबर शिवाजी अत्यधिक कुपित हो उठे और उस समय अवसर की मर्यादा के अनुकूल न तो शंहशाह औरंगजेब को सलाम किया और न विनम्र शब्दों का ही प्रयोग किया। भूषण कहते हैं कि
महाबली शिवाजी क्रोधावेश से गरजने लगे और उनके इस क्रोधावस्था के व्यवहार को देखकर मुगलदरबार के सभी लोगों के जी उड गये। अर्थात् भय से हक्का-बक्का हो गये। व स लाल हुए शिवाजी के मखमण्डल को देखकर औरंगजेब का मुंह काला हो गया आर सिपाहियों के मख भय की अतिशयता के कारण पीले पड़ गये।
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