"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/भूषण": अवतरणों में अंतर

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महाबली शिवाजी क्रोधावेश से गरजने लगे और उनके इस क्रोधावस्था के व्यवहार को देखकर मुगलदरबार के सभी लोगों के जी उड गये। अर्थात् भय से हक्का-बक्का हो गये। व स लाल हुए शिवाजी के मखमण्डल को देखकर औरंगजेब का मुंह काला हो गया आर सिपाहियों के मख भय की अतिशयता के कारण पीले पड़ गये।
 
 
'''विशेष:-१''' शिवाजी के रौद्र रुप के वर्णन में रौद्र रस के सभी अंगों की सफल व्यंजना हुई है।