"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/भूषण": अवतरणों में अंतर

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'''विशेष:-''' शिवाजी की चतुरंगिणी सेना के प्रस्थान का अत्यन्त मनोहारी चित्रण किया है।
 
'''वेद राखे विदित पुरान परसिद्ध राखे,'''
 
'''राम नाम राख्यो अति रसना सुघर मैं।'''
 
'''हिन्दुन की चोटी रोटी राखी है सिपाहिन को,'''
 
'''काँधे मैं जनेऊ राख्यो माला राखी गर मैं।'''
 
'''मीड़ि राखे मुगल मरोड़ि राखे पातसाह,'''
 
'''बैरी पीसि राखे बरदान राख्यो कर मैं।'''
 
'''राजन की हद्द राखी तेग-बल सिवराज,'''
 
'''देव राखे देवल स्वधर्म राख्यों घर मैं।'''
 
 
'''संदर्भ :''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के वीरकाव्य परंपरा के श्रेष्ठ कवि भूषण द्वारा रचित शिवभूषण से संकलित किया गया है।
 
 
'''प्रसंग :'''