"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/भूषण": अवतरणों में अंतर

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'''प्रसंग :''' इस पद के माध्यम से भूषण छत्रसाल महाराज की वीरता की प्रशंसा करते हैं
 
'''व्याख्या :''' भूषण कवि कहते हैं कि सरकारी घोड़ों पर राजकाज करने वाले सिपाहियों ने देश को उजाड़ कर आगरा और दिल्ली की सीमा में आ गये। मानों वह मनुष्य की सेना ना होकर राक्षस की सेना हो। हे धरती के स्वामी छत्रसाल महाराज उसको तूने जंग में जीतकर बेहाल कर दिया। तूने संपूर्ण सौरमंडल में दुश्मनों की महिमा को खंड खंड कर के बुंदेलखंड और महेवा को महिमामंडित किया है। दक्षिण के नाह को छत्रपाल ने कटक में एसे रोका जैसे हजार बांन वाले अर्जुन ने रेवा के प्रभाव को रोक दिया था