"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर

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'''व्याख्या :''' संसार में सभी लोग स्वार्थ और मतलब से बात करते हैं| जब तक हमारे पास पैसा है जब तक सभी दोस्त बने रहते हैं हमारे साथ साथ चलते हैं परंतु जब पैसा ना रहे तो मुंह फेर लेते हैं| सीधे मुंह बात भी नहीं करते | गिरधर कविराय कहते हैं कि संसार की यही रीति है| बिना मतलब के कोई विरला ही दोस्ती निभाता है | (यहां '''विरला''' का अर्थ अनेक लोगों में से कोई एक है)
 
 
'''विशेष :-'''