"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति १०५:
'''प्रसंग :-''' कवि गिरधर का कथन है कि हमें कोई भी काम बिना सोचे- विचार के नहीं करना चाहिए| जिसके कारण निकट भविष्य में हमें उसका पछतावा हो|
'''व्याख्या :-''' बिना बिसारे जो करें सो पाछे पछताय से तात्पर्य है कि जो मनुष्य किसी भी कार्य को करने से पहले कुछ भी नहीं सोचता है व उस कार्य को पहचानता नहीं है और उसे कर ही देता है. फिर उसे अपनी गलती का एहसास होने लगता है तो वह उस समय पछताता हैं| फिर तो अब पछताए क्या होत जब चिड़ियाँ चुग गई खेत. मनुष्य को अपने किसी कार्य को करने से पूर्व सोच समझकर ही निर्णय लेना चाहिए ताकि उसे बाद में पछताना न पड़े|
|