"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति ११४:
 
'''बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेइ।'''
 
'''जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥'''