घर
बेतरतीब
लॉग-इन करें
सेटिंग्स
दान करें
विकिपुस्तक के बारे में
अस्वीकरण
खोजें
"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर
भाषा
ध्यान रखें
सम्पादित करें
उत्तरदायी रूप से इतिहास देखें
← पुराना संपादन
नया संपादन →
Content deleted
Content added
यथादृश्य
विकिटेक्स्ट
०८:५९, १० मई २०२० का अवतरण
सम्पादन
Anujbhardwaj007
(
वार्ता
|
योगदान
)
२,५८४
edits
No edit summary
← पुराना संपादन
०९:००, १० मई २०२० का अवतरण
सम्पादन
पूर्ववत करें
Anujbhardwaj007
(
वार्ता
|
योगदान
)
२,५८४
edits
No edit summary
नया संपादन →
पंक्ति ११६:
'''जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देइ॥'''
'''ताही में चित देइ, बात जोई बनि आवै।'''