"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर
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'''व्याख्या :-''' गिरधर जी कहते हैं कि हमें बीती बातों को भूलकर आगे की सुध लेनी चाहिए| जो लोग एक ही बात को लेकर दुखी होते रहते हैं तो वे हंसी के पात्र बनते हैं अंतः जो बीत गई सो बात गई |
'''विशेष :-'''
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