"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १४२:
 
'''पानी बाढो नाव में, घर में बाढो दाम।'''
 
'''दोनों हाथ उलीचिए, यही सयानो काम॥'''