"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति १३४:
 
 
'''व्याख्या :-''' गिरधर जी कहते हैं कि हमें बीती बातों को भूलकर आगे की सुध लेनी चाहिए| जो लोग एक ही बात को लेकर दुखी होते रहते हैं तो वे हंसी के पात्र बनते हैं अंतः जो बीत गई सो बात गई | जो बीत गया उसे भूल जाओ और आगे की सोचो, जो हो सकता है। जो चीजें सरलतापूर्वक हो जाएं और जिसमें अपना मन लगता हो उन्हीं विषयों पर सोच-विचार करना हितकारी होता है। ऐसा करने पर कोई हँसेगा नहीं और आप मनपूर्वक अपने कार्य को संपन्न कर पाओगे। इसलिए गिरिधर कविराय कहते हैं कि जो मन कहे वही करो बस आगे का देखो, पीछे जो गया उसे बीत जाने दो।
 
 
'''विशेष :-'''