"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/केशवदास": अवतरणों में अंतर

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'''संदर्भ :-''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि केशवदास द्वारा रचित कविप्रिया के तीसरा प्रभाव से लिया गया है
 
'''प्रसंग :-''' इस पद के द्वारा केशवदास बताते की उन्होंने किस प्रकार इस कविप्रिया रचना में अलंकारों का प्रयोग किया है
 
'''व्याख्या :- १.''' कवि कहते हैं कि मैंने बार-बार विचार करके अन्य कविगरणों से सुनकर, समझकर और मेरे भी विभिन्न प्रकार के विचार कर कर इन अलंकारों का प्रयोग किया है क्योंकि कविता की शोभा कविप्रिया का निर्माण और अलंकारों का दूसरा नाम ही सौंदर्य है
 
'''२.''' कविता के अलंकारवादि विविध गुणो को विचारपूर्वक सुनने और समझने के बाद 'केशव' ने कविता की शोभा इस कविप्रिया को लिखा है