"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १६९:
'''राम तूहि, तुहि कृष्ण है, तहि देवन को देव'''
 
'''तूही ब्रह्मा तूहि शक्ति है, तूहि सेक, तूहि सेव
'''तूही
 
'''