"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/गिरिधर कविराय": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति १७८:
'''तूही लछमन, तूही भरत, शत्रुहन, सीताराम'''
'''संदर्भ :-''' यह पद हिंदी साहित्य के रीतिकाल के नीति-विषयक कवि भूषण द्वारा रचित गिरिधर कविराय से संकलित किया गया है।
|