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लिंग समाज और विद्यालय/विद्यालयी नामांकन में लैंगिक पक्षपात
< लिंग समाज और विद्यालय
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कुछ सामय पूर्व ही भारत सरकार द्वारा एक उद्घोष दिया गया था,"सब पढ़ें,सब बढ़ें" और यह उद्घोष सभी प्राथामिल व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों पर तथा अन्य जगह विज्ञापनों के रूप में प्रकाशित हुआ था,जिसके अनुसार एक पेन्सिल के एक सिरे पर एक बालिका का चित्र बना हुआ था व दुसरे सिरे पर एक बालक का चित्र बना हुआ था, पुनः एक और उद्घोष भारत सरकार द्वारा स्तीत्व में लाया गया जिसका प्रचार-प्रसार अब भी अधिक जोरों पर है,जो इस प्रकार है कि,"बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ" और सायद इस उद्घोष का मान भारत की राजधानी दिल्ली में घटित "निर्भया-कांड" के उपरान्त हजारों गुना बढ़ गया, इस प्रकार भारत गणराज्य की केंद्र सरकार व अन्य प्रान्तों तथा केंद्र शासित निकायों की सरकारें व प्रशासन लैगिक पक्षपात न करते हुए शिक्षा की समानता पर कितना जिम्मेदार व गंभीर है ये उद्घोष स्वतः सिद्ध करते हैं |
चूँकि हमारा राष्ट्र ढांचागत रूप से गांवों से निर्मित है, अनेकता में एकता इसकी विशिष्ट पहचान है, अब अनेकता तो विभिन्न प्रकार की है जैसे कि,रूप,रंग,वेष-भूषा,भाषा,क्षेत्र,पंथ,सम्प्रदाय आदि-आदि | और विभिन्न अनेक्तावों की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं | विभिन्न प्रान्तों के लोगों के रहन-सहन सोच समझ एक-दुसरे कुछ न कुछ जुदा है |