"विकिपुस्तक:गुणवत्ता संवर्द्धन संपादनोत्सव/प्रतिभागी": अवतरणों में अंतर

→‎रोहित साव27: टिप्पणी
पंक्ति १०:
: प्रतिभागी का हस्ताक्षर: ---[[सदस्य: रोहित साव27|<span style="text-shadow:gray 3px 3px 2px;color: black">'''रोहित'''</span>]][[सदस्य_वार्ता: रोहित साव27|<span style="text-shadow:gray 3px 3px 2px;color: black">'''(💌)'''</span>]] १९:०३, ३० अप्रैल २०२० (UTC)
:बनायी अथवा बढ़ायी गई पुस्तक १ : [[हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास (आधुनिक काल)]]
:'''निर्णायक मंडल की टिप्पणी''': प्रतिभागी द्वारा चुनी गई पुस्तक अधूरी रही। वर्तनी और वाक्य विन्यास की त्रुटियाँ भी बहुत अधिक हैं। वाक्यों के आकार और विन्यास से ही स्पष्ट है कि कौन सी सामग्री स्वतः लिखी गयी है, और कौन सी सहायक पुस्तकों से कॉपी-पेस्ट है। अध्यायों का असंतुलित और अनावश्यक विस्तार पाठ्य-पुस्तक की गुणवत्ता का मानक नहीं होता बल्कि उसे कम करता है। 30 हज़ार से अधिक बाइट्स या 3000 से अधिक शब्दों का अध्याय सहायिका के लिए उपयुक्त नहीं है। संदर्भहीन (या बहुत कम संदर्भ वाले) लेख का बहुत विस्तार करने पर भी भाषा का दोहरापन साफ झलकने लगता है। एक ही अध्याय का अनावश्यक विस्तार करने से बेहतर है कि संतुलित आकार में किताब पूरी की जाय। प्रतिभागी द्वारा केवल दो संदर्भों का प्रयोग कर एक ही अध्याय में लगभग एक लाख बाइट्स की सामग्री का विस्तार किया गया जो सामग्री की प्रामाणिकता और पुस्तक की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। --[[सदस्य:अजीत कुमार तिवारी|अजीत कुमार तिवारी]] ([[सदस्य वार्ता:अजीत कुमार तिवारी|वार्ता]]) ०६:५८, ५ जून २०२० (UTC)
:निर्णायक मंडल की टिप्पणी:
:अंक: