"छायावादोत्तर हिंदी कविता/प्रेत का बयान": अवतरणों में अंतर
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{{संचरण|पिछला=बहुत दिनों के बाद|अगला=कलगी बाजरे की}}
<poem>"ओ रे प्रेत -"
कडककर बोले नरक के मालिक यमराज
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