"सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/विज्ञान एवं प्रौद्दोगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ": अवतरणों में अंतर

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== अंतरिक्ष प्रौद्दोगिकी ==
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite System-IRNSS) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है।
इसरो ने GSLV Mk III (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III) के ज़रिये श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSAT-29 (Geostationary Satellite) नामक संचार उपग्रह को लॉन्च किया।
GSLV Mk III द्वारा इसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (Geosynchronous Transfer Orbit-GTO) में स्थापित किया गया है। तीन ऑर्बिट रेज़िंग मैन्यूवर्स (orbit-raising maneuvers) के बाद इसे जियो स्टेशनरी ऑर्बिट (Geostationary Orbit) में स्थापित किया जाएगा।
महत्त्व
# इससे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दूर-दराज़ के इलाकों में इंटरनेट पहुँचाने में मदद मिलेगी।
# उपग्रह में लगे हाई रिजॉल्यूशन कैमरा की सहायता से हिंद महासागर में जहाजों पर भी निगरानी की जा सकेगी। यह इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस उपग्रह की मदद से भविष्य के स्पेस मिशन के लिये पहली बार इन तकनीकियों का परीक्षण किया गया है।
# इस रॉकेट की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह स्वदेश निर्मित है। इस रॉकेट की ऊँचाई 13 मंजिल की इमारत के बराबर है। यह चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है।
# इसमें स्वदेशी तकनीक से तैयार नया क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें ईंधन के तौर पर लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है।
इसरो (Indian Space and Research Organisation-ISRO) ने GSLV Mk III (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III) के ज़रिये श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSAT-29 (Geostationary Satellite) नामक संचार उपग्रह को लॉन्च किया।
GSLV Mk III द्वारा इसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (Geosynchronous Transfer Orbit-GTO) में स्थापित किया गया है। तीन ऑर्बिट रेज़िंग मैन्यूवर्स (orbit-raising maneuvers) के बाद इसे जियो स्टेशनरी ऑर्बिट (Geostationary Orbit) में स्थापित किया जाएगा। अतः कथन 1 सही नहीं है।
महत्त्व
# इससे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दूर-दराज़ के इलाकों में इंटरनेट पहुँचाने में मदद मिलेगी।
# उपग्रह में लगे हाई रिजॉल्यूशन कैमरा की सहायता से हिंद महासागर में जहाजों पर भी निगरानी की जा सकेगी। यह इसलिये भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस उपग्रह की मदद से भविष्य के स्पेस मिशन के लिये पहली बार इन तकनीकियों का परीक्षण किया गया है।
# इस रॉकेट की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह स्वदेश निर्मित है। इस रॉकेट की ऊँचाई 13 मंजिल की इमारत के बराबर है। यह चार टन तक के उपग्रह लॉन्च कर सकता है।
# इसमें स्वदेशी तकनीक से तैयार नया क्रायोजेनिक इंजन लगा है, जिसमें ईंधन के तौर पर लिक्विड ऑक्सीजन और हाइड्रोजन का इस्तेमाल होता है।
 
* भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (Indian Regional Navigational Satellite System-IRNSS) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित एक क्षेत्रीय स्वायत्त उपग्रह नौवहन प्रणाली है जो पूर्णतया भारत सरकार के अधीन है।
इसका उद्देश्य देश तथा देश की '''सीमा से 1500 किलोमीटर''' की दूरी तक के हिस्से में इसके उपयोगकर्त्ता को सटीक स्थिति की सूचना देना है।
IRNSS के तीन उपग्रहों को भूस्थिर कक्षा (जियोस्टेशनरी ऑर्बिट) और चार उपग्रहों को भूस्थैतिक कक्षा (जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट) में स्थापित किया गया है।