"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति २८:
'''<Poem>करते तुलसीदास भी कैसे मानस का नाद?'''
'''महावीर का यदि उन्हें मिलता नहीं प्रसाद</poem>
 
सरस्वती एक सचित्र मासिक थी और उसमें रंगीन चित्र की छपते थे। मैथिलीशरण की अनेक रचनाएं इन चित्रों के भाव को उजागर करती थी। 16 साल के दौरान उन्होंने करीब 300 कविताएं सरस्वती मे लिखी। इसी बीच 1921 में महावीर प्रसाद द्विवेदी ने संपादक पद से इस्तीफा दे दिया और इधर मैथिलीशरण ने भी गोरी सरकार हुकूमत के खिलाफ खुलकर लिखना शुरु कर दिया