"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति ५३:
उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है</poem>
 
भारत भारती की लोकप्रियता का आलम ये था कि सारी प्रतियां देखते ही देखते समाप्त हो गई और 2 महीने के भीतर दूसरा संस्करण प्रकाशित करना पड़ापड़ा। भारत भारती साहित्य जगत में आज भी सांस्कृतिक नवजागरण का ऐतिहासिक दस्तावेज है। गुप्त जी ने अतीत वर्तमान और भविष्य तीनों की बात कही है