"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ७०:
जो आज उत्सव मग्र है, कल शोक से रोता वही</poem>
राष्ट्रीय आंदोलनों, शिक्षा संस्थानों और प्रातः कालीन प्रार्थनाओं में भारत भारती गाई जाती थी। गांव गांव में अनपढ़ लोग भी सुन सुनकर याद कर चुके
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