"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर

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1925 में मैथिलीशरण गुप्त ने अपने ऐतिहासिक खंडकाव्य '''पंचवटी''' की रचना की। इसमें उन्होंने राम-सीता और लक्ष्मण के 14 साल की बनवास के दौरान पंचवटी दिनों का सजीव चित्रण किया। खास तौर पर लक्ष्मण के किरदार पर गुप्तजी ने जैसी कलम चलाई हिंदी साहित्य में वैसा काम किसी और ने नहीं किया। इतना ही नहीं पंचवटी मैथिलीशरण गुप्त की वो रचना है जिसमें उन्होंने कुदरत के अनमोल खजाने को खोला है।
 
<Poem> चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥<\poem>