"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति ११७:
तनु-लता-सफलता-स्वादु आज ही आया,
मेरी कुटिया में राज-भवन मन भाया॥</poem>
 
1932 गुप्त जी की एक और शानदार प्रसूति यशोधरा स्त्री संवेदना की बारीक और मार्मिक अभिव्यक्ति। गौतम बुद्ध के गृह त्याग और उनकी पत्नी यशोधरा की पीड़ा को ध्यान में रख कर लिखी हुई इस रचना में वो सिद्धार्थ यामी गौतम बुद्ध के रात में अपने महल से चुपचाप चले जाने पर यशोधरा यशोधरा के मन का हालत बयान करते हैं।