"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति १३६:
और इसी रचना में उन्होंने महिलाओं की वेदना की अमर अभिव्यक्ति की है। 85-90 साल बाद भी यह पंक्तियां प्रासंगिक है।
<poem>अबला जीवन हाय! तुम्हारी यही कहानी
आंचल में है दूध और आंखों में है पानी</poem>
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