"भारतीय काव्यशास्त्र/काव्य लक्षण": अवतरणों में अंतर
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संचरण |
छो →भरतमुनि |
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पंक्ति ८:
बहुकृतरसमार्गं संधिसंधानयुक्तं,
स भवति शुभकाव्यं नाटकप्रेक्षकाणाम्॥"</poem>
यहाँ क्रमशः सात
==भामह==
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पंक्ति ८:
बहुकृतरसमार्गं संधिसंधानयुक्तं,
स भवति शुभकाव्यं नाटकप्रेक्षकाणाम्॥"</poem>
यहाँ क्रमशः सात
==भामह==
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