"भारतीय काव्यशास्त्र/काव्य लक्षण": अवतरणों में अंतर

संचरण
पंक्ति ८:
बहुकृतरसमार्गं संधिसंधानयुक्तं,
स भवति शुभकाव्यं नाटकप्रेक्षकाणाम्॥"</poem>
यहाँ क्रमशः सात विशेषताएंंविशेषताएँ वर्णित हैं - मृदुललित पदावली, गूढ़शब्दार्थहीनता, सर्वसुगमता, युक्तिमत्ता, नृत्योपयोगयोग्यता, बहुकृतरसमार्गता तथा संधियुक्तता। इसमें पाँचवाँ तथा सातवाँ नाटक की दृष्टि से वर्णित हैं, शेष में गुण, रीति, रस एवं अलंकार का वर्णन है।
 
==भामह==