"अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य/दलित कविता": अवतरणों में अंतर

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संदर्भ
पंक्ति १:
<center><big>'''अछूतानंद - अछूतानन्द'''</big><br>'''दलित कहाँ तक पड़े रहेंगे'''</big></center>
<poem>{{block center|ये आदि हिंद, अछूत, पीड़ित, दलित कहाँ तक पड़े रहेंगे?
प्रबल अनल के प्रचंड शोले, जमीं में कब तक गड़े रहेंगे?
पंक्ति २७:
तुम्हीं बताओ वह कैसे जीवित औ लहलहाते हरे रहेंगे?
जो चाहते हो कि शक्तिशाली हो एक दुनिया का देश भारत।
तो रोटी-बेटी से फिर 'हरिहर' कहो तो कब तक फिरे रहेंगे?<ref>{{cite book|author=राजपाल सिंह 'राज'|title=हिन्दू आन्दोलन के प्रवर्तक स्वामी अछूतानन्द हरिहर|url=https://books.google.com/books?id=i2ZuaOSvNJUC&pg=PA73|year=2009|publisher=सिद्धार्थ बुक|location=दिल्ली|isbn=978-81-908753-9-4|pages=73–74}}</ref>}}</poem>
==संदर्भ==
{{reflist}}