"अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य/स्त्री कविता": अवतरणों में अंतर

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===कीर्ति चौधरी===
'''सीमा -रेखा'''
<poem>मृग तो नहीं था कहीं
बावले भरमते-से इंगित पर चले गए
तुम भी नहीं थे
बस केवल यह रेखा थी
जिसमें बँधकर मैंने दुस्सह प्रतीक्षा की
संभव है आओ तुम
अपने संग अंजलि में भरने को
स्वर्णदान लाओ
इन चरणों से
यह सीमा-रेखा बिलगाओ
 
पर
बीते दिन, वर्ष, मास
मेरी इन आँखों के आगे ही
फिर-फिर मुरझाए ये निपट काँस
 
मन मेरे!
अब रेखा लाँघो
आए तो आए
वह वन्य
छद्मधारी
अविचारी
कर खंडित कलंकित
ले जाए तो ले जाए
मंदिर में ज्योतित
उजाले का प्रण करती
कंपित निर्धूम शिखा-सी
यह अनिमेष लगन
कौन वहाँ आतुर है!
 
किसे यहाँ देनी है
ऊँचा ललाट रखने को
अग्नि की परीक्षा वह!</poem>
 
===कात्यायनी===
'''सात भाइयों के बीच चंपा'''</center>