"अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य/स्त्री कविता": अवतरणों में अंतर

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नागफनी के बीहड़ घेरों के बीच
निर्भय-निस्संग चंपा
मुस्कुराती पाई गई।<ref>बीसवीं सदी का '''हिंदी महिला-लेखन''' खंड-2, संपादन - {{sfn|अनामिका, साहित्य अकादमी, दिल्ली, प्रथम संस्करण (सं॰)|2015, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-260-4782-6, पृष्ठ-|p=203-04</ref>}}</poem>
=== सविता सिंह ===
<poem>'''मैं किसकी औरत हूँ'''
पंक्ति १२६:
और इसमें बसी प्रकृति की गंध सब मेरी हैं
और मैं हूँ अपने पूर्वजों के शाप और अभिलाषाओं से दूर
पूर्णिया अपनी"।{{sfn|अनामिका (सं॰)|2015|p=269-70}}</poem>
 
==संदर्भ==
{{reflist}}
==स्रोत==
* बीसवीं सदी का '''हिंदी महिला-लेखन''' खंड-2, संपादन - अनामिका, साहित्य अकादमी, दिल्ली, प्रथम संस्करण 2015, आई॰एस॰बी॰एन॰ 978-81-260-4782-6