"अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य/आदिवासी कविता": अवतरणों में अंतर

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===निर्मला पुतुल===
=== सुशीला समद ===
'''सन्ध्या'''
<poem>सन्ध्या सूने आँगन में,
जाती दे निष्फल फेरा!
मेरे शशि! आकर देखो!
नभ काल-मेघ ने घेरा॥
 
शीतल समीर रह रह कर,
दे रहा सँदेशा किसका।
उजड़ा है माणिक-मन्दिर,
अर्चन था होता जिसका॥
 
मानस-सरसी में लहरी,
उठ उठ अधीर हो आती।
आकुल-व्याकुल तानों में,
यह किसकी खोज मचाती॥
 
क्यों छिन्न हुए हैं सारे,
ये मानस-सरसिज के दल!
जो विकसित थे मानस में,
सौरभ से सुरभित हो कल॥
 
क्या मेरे इस आँगन में,
वे कनक किरन-दल आकर।
लेती थीं सान्ध्य विदा क्या,
दुख से मलीन अति होकर?
 
पल्लव-शैया पर सोये
इन शुष्क सुमन-नयनों में।
आवेगा मिलने धीरे,
क्या सौरभ फिर सपने में?</poem>
 
=== अनुज लुगुन ===
'''ससन दिरी'''<sup>*</sup>