"अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य/आदिवासी कविता": अवतरणों में अंतर

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क्षमा करना
नकारती हूँ तुम्हारे इस विकास के प्रस्ताव को
जो पटना, रांची, दिल्ली से बनाकर लाए हो तुम हमारे लिए।<ref>बेघर सपने, निर्मला पुतुल, आधार प्रकाशन, 2014, आई॰एस॰बी॰एन॰ : 978-81-767-5466-8, पृष्ठ-40-42</ref></poem>
 
=== सुशीला सामद ===