"राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर

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[[File:Maithili Sharan Gupt 1974 stamp of India.jpg|thumb|मैथिलीशरणMaithili गुप्तSharan Gupt 1974 stamp of India.jpg]]
{{center|'''मैथिलीशरण गुप्त'''}}
अट्ठारह सौ सत्तावन (१८५७) से पहले की बात है। गोरी हुकूमत और छोटे रजवाड़ों के जुल्म चरम पर थे। मध्य भारत का चंबल इलाका भी इसका शिकार था। कारोबार करना जोखिम भरा था डाकुओं और ठगो की तरह पिंडारी भी लुटेरे थे। गांव गांव में इन पंडारियों का आतंक था। अमीर और संपन्न घराने पिंडारीयों के निशाने पर रहते थे। ग्वालियर के पास भाड़े रियासत का धनवान कनकने परिवार इन पिंडलियों से दुखी होकर झांसी के पास चिरगांव जा बसा।