"अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य/स्त्री कविता": अवतरणों में अंतर

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और इसमें बसी प्रकृति की गंध सब मेरी हैं
और मैं हूँ अपने पूर्वजों के शाप और अभिलाषाओं से दूर
पूर्णियापूर्णतः अपनी"।{{sfn|अनामिका (सं॰)|2015|p=269-70}}</poem>
 
==संदर्भ==