"अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य/आदिवासी कविता": अवतरणों में अंतर

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उन्हीं हस्तक्षेपों के साथ जीवित हैं
साखू के पेड़ के नीचे सैकड़ों पत्थर
जो हमें मरने नहीं देते। <ref name="Ṭeṭe2017">{{cite book|author=वंदना टेटे|title=लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ|url=https://books.google.com/books?id=sDGZDwAAQBAJ&pg=PP135|year=2017|publisher=प्रभात प्रकाशन|isbn=978-93-5186-877-4|pages=134–35}}</ref></poem>
जो हमें मरने नहीं देते।</poem>
 
(* '''ससन दिरी''' : मुंडाओं की सांस्कृतिक विरासत वाला पत्थर। अपने पुरखों की स्मृति में उनके सम्मान में उनके कब्र पर गाड़ा जाने वाला यह पत्थर मुंडाओं के गाँव का मालिकाना चिह्न है। कहा जाता है कि अंग्रेजी समय में जब मुंडाओं से उनके गाँव का मालिकाना पट्टा माँगा गया था तो वे इसी पत्थर को ढोकर कलकत्ता की अदालत में पहुँच गए थे।)