"समसामयिकी 2020/भारत-एशियाई देश": अवतरणों में अंतर

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अरब बलों के गठबंधन (Coalition Arab Forces) ने मार्च 2015 में यमन में हवाई हमले शुरू कर दिये। ऐसे में यमन के विभिन्न स्थानों पर फँसे 4000 से अधिक भारतीय नागरिकों को तत्काल निकाले जाने की आवश्यकता थी।
भारतीय नागरिकों की निकासी के लिये विदेश मंत्रालय, भारतीय वायुसेना, भारतीय नौसेना और एयर इंडिया की संयुक्त टीम ने ऑपरेशन को पूरा करने पर कार्य किया।
 
== भारत और चीन ==
जून में इन दोनों देशों के बीच 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' पर तनाव की स्थिति हैं,जिनमें पैंगोंग त्सो (Pangong Tso), गैलवान घाटी (Galwan Valley), सिक्किम के ‘नाकु ला’ (Naku La) और डेमचोक (Demchok) शामिल हैं। इन परिस्थितियों में भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन भी प्राप्त हुआ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ‘G-7 प्लस’ समूह में भारत को आमंत्रित करना उसके बढ़ते रणनीतिक कद को दर्शाता है।
चीन द्वारा सेना को युद्ध की तैयारियों को बढ़ाने और देश की संप्रभुता का पूरी तरह से बचाव करने के आदेश के बाद से दोनों देशों के बीच 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' पर तनाव बढ़ गया था।
चीन के इस रवैये के पश्चात् भारत ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
अब तक लद्दाख में भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों के बीच कम-से-कम छह दौर की वार्ता असफल हो चुकी हैं।
भारत का पक्ष:-अमेरिका द्वारा दोनों देशों के बीच मध्यस्थता हेतु की गई पेशकश को भारत ने तीसरा पक्ष करार देते हुए अस्वीकार किया है।
भारत शांतिपूर्ण तरीके से इस मुद्दे को हल करने के लिये उच्च स्तरीय बैठकें कर रहा है।
चीन का पक्ष:-चीन ने साफ किया है कि दोनों देश द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से गतिरोध का समाधान करेंगे। साथ ही यह भी कहा कि भारत के साथ सीमा पर स्थिति ‘समग्र स्थिर और नियंत्रण’ में है।
 
 
: भारत-चीन के मध्य हालिया विवाद का केंद्र अक्साई चिन में स्थित गालवन घाटी (Galwan Valley) है, जिसको लेकर दोनो देशों की सेनाएँ आमने-सामने आ गईं हैं। जहाँ भारत का आरोप है कि गालवन घाटी के किनारे चीनी सेना अवैध रूप से टेंट लगाकर सैनिकों की संख्या में वृद्धि कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर चीन का आरोप है कि भारत गालवन घाटी के पास रक्षा संबंधी अवैध निर्माण कर रहा है।
G-7 समूह के विस्तारीकरण और उसमें भारत की सदस्यता के कारण भी चीन नाखुश नज़र आ रहा है।
पूर्व में हुए अन्य सीमा विवाद, जैसे- पैंगोंग त्सो मोरीरी झील विवाद-2019, डोकलाम गतिरोध-2017, अरुणाचल प्रदेश में आसफिला क्षेत्र पर हुआ विवाद प्रमुख है।
परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (Nuclear Suppliers Group- NSG) में भारत का प्रवेश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता आदि पर चीन का प्रतिकूल रुख दोनों देशों के मध्य संबंधों को प्रभावित कर रहा है।
बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative) संबंधी विवाद और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China Pakistan Economic Corridor- CPEC) भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करता है।
सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर चीन द्वारा पाकिस्तान का बचाव एवं समर्थन।
 
: अमेरिका व चीन के मध्य हालिया विवाद का कारण COVID-19 संक्रमण व उससे जुड़ी जानकारियाँ छिपाने को लेकर है। दोनों ही देशों ने COVID-19 संक्रमण को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किये हैं, परिणामस्वरूप उनके मध्य संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं।
इसके अतिरिक्त, विगत वर्ष हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र के समर्थकों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए अमेरिका ने हॉन्गकॉन्ग मानवाधिकार और लोकतंत्र अधिनियम पारित किया था, जिसके तहत अमेरिकी प्रशासन को इस बात का आकलन करने की शक्ति दी गई है कि हॉन्गकॉन्ग में अशांति की वजह से इसे विशेष क्षेत्र का दर्जा दिया जाना उचित है या नहीं। चीन की सरकार ने हॉन्गकॉन्ग को उसका आंतरिक विषय बताते हुए अमेरिका के इस अधिनियम को चीन की संप्रभुता पर खतरा माना था।
हाल ही में अमेरिका के 'प्रतिनिधि सभा' (House of Representatives) ने ‘उइगर मानवाधिकार विधेयक’ (Uighur Human Rights Bill)[शिनजियांग प्रांत में रहने वाले उइगर मुस्लिम(तुर्क मूल के उइगर मुसलमानों की इस क्षेत्र में आबादी लगभग 40 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में उनकी आबादी बहुसंख्यक थी। परंतु जब से इस क्षेत्र में चीनी समुदाय हान की संख्या बढ़ी है और सेना की तैनाती हुई है तब से स्थिति बदल गई है और यह समुदाय अल्पसंख्यक स्थिति में आ गया है।) 'ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट' चला रहे हैं जिसका उद्देश्य चीन से अलग होना है। ] को मंज़ूरी दी है। विधेयक में ट्रंप प्रशासन से चीन के उन शीर्ष अधिकारियों को दंडित करने की मांग की गई है जिनके द्वारा अल्पसंख्यक मुसलमानों को हिरासत में रखा गया है।
वर्ष 2019 में अमेरिका ने चीन की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी हुआवे (Huawei) पर जासूसी का आरोप लगाते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया था। अमेरिकी इंटेलिजेंस विभाग का मानना था कि हुआवे द्वारा तैयार किये जा रहे उपकरण देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं।
=== भारत-चीन संबंधों का विकास ===
भारत के पास एक विकल्प यह भी है कि वह चीन को दिया सबसे पसंदीदा राष्ट्र (Most-Favoured Nation) का दर्जा वापस ले सकता है।
MFN (Most-Favoured Nation) क्या है?
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation-WTO) के टैरिफ एंड ट्रेड पर जनरल समझौते (General Agreement on Tariffs and Trade-GATT) के तहत MFN का दर्जा दिया गया था। भारत और चीन दोनों ही WTO के हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं तथा विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें माल पर सीमा शुल्क लगाने के मामले में एक-दूसरे एवं WTO के अन्य सदस्य देशों के साथ व्यापारिक साझेदार के रूप में व्यवहार करना आवश्यक है।
: प्रभाव :-'''MFN का दर्जा वापस लेने का मतलब है कि भारत अब चीन से आने वाले सामान पर सीमा शुल्क बढ़ा सकता है।''' इससे भारत में चीन द्वारा किया गया निर्यात प्रभावित होगा।
यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि, भारत अपने कुल निर्यात का लगभग 8 प्रतिशत चीन को निर्यात करता है जबकि चीन अपने कुल निर्यात का केवल 2 प्रतिशत भारत को निर्यात करता है। इस प्रकार यदि भारत, चीन के उत्पादों को प्रतिबंधित करता है तो चीन भी ऐसा ही करेगा जिससे ज्यादा नुकसान चीन का ना होकर भारत का ही होगा।
चीन के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को प्रतिबंधित करना भी भारत के हित में नही होगा क्योंकि भारत में अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद चीन से ही आती है जिनका मूल्य कम होता है।
यदि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर रोक लगा भी दी तो इतनी जल्दी इन उत्पादों का उत्पादन भारत में शुरू नही हो सकता क्योंकि इसमें अधिक समय और अधिक निवेश की ज़रुरत होती है।
 
हज़ारों वर्षों तक तिब्बत ने एक ऐसे क्षेत्र के रूप में काम किया जिसने भारत और चीन को भौगोलिक रूप से अलग और शांत रखा, परंतु जब वर्ष 1950 में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर वहाँ कब्ज़ा कर लिया तब भारत और चीन आपस में सीमा साझा करने लगे और पड़ोसी देश बन गए।
20वीं सदी के मध्य तक भारत और चीन के बीच संबंध न्यूनतम थे एवं कुछ व्यापारियों, तीर्थयात्रियों और विद्वानों के आवागमन तक ही सीमित थे।
* वर्ष '''1954 में नेहरू और झोउ एनलाई (Zhou Enlai) ने “हिंदी-चीनी भाई-भाई” के नारे के साथ पंचशील सिद्धांत''' पर हस्ताक्षर किये, ताकि क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिये कार्ययोजना तैयार की जा सके।
* वर्ष 1959 में तिब्बती लोगों के आध्यात्मिक और लौकिक प्रमुख दलाई लामा तथा उनके साथ अन्य कई तिब्बती शरणार्थी हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में बस गए। इसके पश्चात् चीन ने भारत पर तिब्बत और पूरे हिमालयी क्षेत्र में विस्तारवाद और साम्राज्यवाद के प्रसार का आरोप लगा दिया।
* वर्ष 1962 में सीमा संघर्ष से द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर झटका लगा तथा उसके बाद वर्ष 1976 मे भारत-चीन राजनयिक संबंधों को फिर से बहाल किया गया। इसके बाद समय के साथ-साथ द्विपक्षीय संबंधों में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला।
* वर्ष 1988 में भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने द्विपक्षीय संबंधों के सामान्यीकरण की प्रक्रिया शुरू करते हुए चीन का दौरा किया। दोनों पक्ष सीमा विवाद के प्रश्न पर पारस्परिक स्वीकार्य समाधान निकालने तथा अन्य क्षेत्रों में सक्रिय रूप से द्विपक्षीय संबंधों को विकसित करने के लिये सहमत हुए। वर्ष 1992 में, भारतीय राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन भारत गणराज्य की स्वतंत्रता के बाद चीन का दौरा करने वाले प्रथम भारतीय राष्ट्रपति थे।
* वर्ष 2003 में भारतीय प्रधानमंत्री वाजपेयी ने चीन का दौरा किया। दोनों पक्षों ने भारत-चीन संबंधों में सिद्धांतों और व्यापक सहयोग पर घोषणा (The Declaration on the Principles and Comprehensive Cooperation in China-India Relations) पर हस्ताक्षर किये।
* वर्ष 2011 को 'चीन-भारत विनिमय वर्ष' तथा वर्ष 2012 को 'चीन-भारत मैत्री एवं सहयोग वर्ष' के रूप में मनाया गया।
* वर्ष 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री ने चीन का दौरा किया इसके बाद चीन ने भारतीय आधिकारिक तीर्थयात्रियों के लिये नाथू ला दर्रा खोलने का फैसला किया। भारत ने चीन में भारत पर्यटन वर्ष मनाया।
* वर्ष 2018 में चीन के राष्ट्रपति तथा भारतीय प्रधानमंत्री के बीच वुहान में ‘भारत-चीन अनौपचारिक शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। उनके बीच गहन विचार-विमर्श हुआ और वैश्विक और द्विपक्षीय रणनीतिक मुद्दों के साथ-साथ घरेलू एवं विदेशी नीतियों के लिये उनके संबंधित दृष्टिकोणों पर व्यापक सहमति बनी।
* वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री तथा चीन के राष्ट्रपति बीच चेन्नई में ‘दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन’ आयोजित किया गया। इस बैठक में, 'प्रथम अनौपचारिक सम्मेलन' में बनी आम सहमति को और अधिक दृढ़ किया गया।
* वर्ष 2020 में भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70 वीं वर्षगांठ है तथा भारत-चीन सांस्कृतिक तथा पीपल-टू-पीपल संपर्क का वर्ष भी है।
 
== भारत-बांग्लादेश ==