"समसामयिकी 2020/पर्यावरण और भारत": अवतरणों में अंतर

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सम्मेलन में लिये गए निर्णय ‘पोस्ट 2020 वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क’ रणनीति के लिये आधार प्रदान करेंगे।
वर्ष 2020 में ही ‘पोस्ट 2020 वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क’ के तहत भविष्य की नीतियों की रूपरेखा तथा संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के अंतिम दशक (2020-2030) के लक्ष्य निर्धारित किये जायेंगे। अतः COP-13 सम्मेलन में लिये गए निर्णय आगामी दशक में विकास और प्रकृति के बीच समन्वय के लिये महत्त्वपूर्ण होंगे।
COP-13 के परिणाम
COP-13 में CMS की संरक्षित प्रजातियों की सूची में 10 नई प्रजातियों को जोड़ा गया है।
इस सूची के परिशिष्ट-I में 7 प्रजातियों ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, एशियाई हाथी, बंगाल फ्लोरिकन, जगुआर, वाइट-टिप शार्क, लिटिल बस्टर्ड और एंटीपोडियन अल्बाट्राॅस को शामिल किया है। ध्यातव्य है कि CMS के परिशिष्ट-I में वन्यजीवों की लुप्तप्राय (Endangered) प्रजातियों को रखा जाता है।
परिशिष्ट-II में प्रवासी जीवों की 3 प्रजातियों को जोड़ा गया है। परिशिष्ट-II में वन्यजीवों की उन प्रजातियों को शामिल किया जाता है, जिनकी संख्या में असामान्य कमी दर्ज की गई हो तथा उनके संरक्षण के लिये वैश्विक सहयोग की ज़रूरत हो।
परिशिष्ट-II में जोड़ी गई प्रजातियों में उरियल (Urial), स्मूथ हैमरहेड शार्क और टोपे शार्क (Tope shark) शामिल हैं।
इसके साथ ही वन्य जीवों की लक्षित 14 अन्य प्रजातियों के संरक्षण हेतु ठोस कदम उठाने के लिये कार्ययोजना पर सहमति।
गांधीनगर घोषणा (डिक्लेरेशन):
COP-13 सम्मेलन के दौरान “गांधीनगर डिक्लेरेशन” नामक एक घोषणा-पत्र जारी किया गया, इस घोषणा-पत्र में प्रवासी पक्षियों और उनके वास स्थान के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में CMS की भूमिका की सराहना की गई।
इस घोषणा-पत्र में प्रवासी जीवों के वास स्थान के क्षरण और उनके अनियंत्रित दोहन को प्रवासी जीवों के अस्तित्व के लिये सबसे बड़ा खतरा बताया गया।
घोषणा-पत्र में वर्तमान वैश्विक ‘पारिस्थितिक संकट’ (Ecological Crisis) को स्वीकार करते हुए इस समस्या से निपटने के लिये शीघ्र और मज़बूत कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
घोषणा-पत्र में CMS और अन्य जैव-विविधता से संबंधित सम्मेलनों के लक्ष्यों की प्राप्ति में ‘जलवायु परिवर्तन पर UNFCCC’ के पेरिस समझौते के महत्त्व को स्वीकार किया गया।
पोस्ट 2020 ग्लोबल फ्रेमवर्क:
आगामी दशकों में जैव-विविधता में सकारात्मक सुधार के लिये नीति-निर्धारण में ‘Post 2020 ग्लोबल फ्रेमवर्क’ के महत्त्व को स्वीकार किया गया है।
घोषणापत्र में ‘पोस्ट-2020 वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क’ के अंतर्गत पर्यावरण संवर्द्धन के क्षेत्र में बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों, क्षेत्रीय और सीमा पार सहयोग प्रणाली, आदि के माध्यम से वैश्विक सहयोग बढ़ाने तथा सामुदायिक स्तर पर योजनाओं के बीच अनुभव साझा करने जैसे प्रयास शामिल करने की सलाह दी गई है।
इसके साथ ही ‘पोस्ट-2020 वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क’ के तहत योजना की सफलता (लक्ष्यों पर प्रगति की स्थिति, जैव-विविधताओं को जोड़ने पर कार्य-प्रगति) के मूल्यांकन के लिये प्रवासी प्रजातियों की स्थिति के विभिन्न सूचकांकों जैसे-वाइल्ड बर्ड इंडेक्स, लिविंग प्लैनेट इंडेक्स, आदि को शामिल करने की बात कही गई है।
गांधीनगर घोषणा-पत्र में CMS सदस्यों और अन्य हितधारकों को प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण तथा जैव-पारिस्थितिकी के क्षेत्र में संपर्क एवं कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिये ‘पोस्ट-2020 वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क’, 2030 सतत् विकास लक्ष्य आदि योजनाओं के तहत वैश्विक सहयोग बढ़ाने व आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराने की मांग की गई है।
रैप्टर समझौता-ज्ञापन (Raptor MOU):
COP-13 सम्मेलन में पूर्वी अफ्रीका के देश इथिओपिया (Ethiopia) ने CMS द्वारा प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के लिये स्थापित ‘CMS एमओयू ऑन कंजर्वेशन ऑफ माइग्रेटरी बर्ड्स ऑफ प्रे इन अफ्रीका एंड यूरेशिया’ नामक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, इस समझौते को ‘रैप्टर समझौता-ज्ञापन (Raptor MOU)’ के नाम से भी जाना जाता है। यह समझौता अफ्रीका और यूरेशिया क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों के शिकार पर प्रतिबंध और उनके संरक्षण को बढ़ावा देता है। भारत ने मार्च 2016 में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
 
== पर्यावरण प्रभाव आकलन ==
NGT) ने असम के ‘डिब्रू-सैखोवा राष्टीय उद्यान’ में प्रस्तावित सात उत्खनन ड्रिलिंग साइटों को पर्यावरणीय मंज़ूरी दिये जाने पर संबंधित संस्थाओं/इकाइयों से जवाब तलब किया है।