"हिन्दी कहानी/परिंदे": अवतरणों में अंतर

'अँधेरे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गयी। दीवार...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
 
No edit summary
पंक्ति १:
<center><big>परिंदे<br>निर्मल वर्मा</big></center>
अँधेरे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गयी। दीवार का सहारा लेकर उसने लैम्प की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बैडौल कटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नम्बर कमरे में लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाजा खटखटाया। शोर अचानक बंद हो गया। “कौन है?”