"हिंदी कविता (रीतिकालीन) सहायिका/रहीम": अवतरणों में अंतर

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'''व्याख्या-''' रहीमदास जी ने हमें इस दोहे के माध्यम से हमें यह बताया है कि जब दीपक की आवश्यकता होती है तो जो औरत उसे हवा का झोंका आने पर अपने पल्लू से ढक कर बुझने से बचा लेती है बाद में अर्थात सूर्य के निकलने पर वही औरत उसे अपने पल्लू की चोट मारकर उसे बुझा देती है।
जो औरत उसे हवा का झोंका आने पर अपने पल्लू से ढक कर बुझने से बचा लेती है बाद में अर्थात सूर्य के निकलने पर वही औरत उसे अपने पल्लू की चोट मारकर उसे बुझा देती है।
 
 
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'''प्रसंग-''' इस पद के माध्यम से रहीम दास जी एक समझदार व्यक्ति के कर्तव्य को समझाते हैं`हैं।
 
 
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'''प्रसंग-''' इस पद के माध्यम से रहिमदास प्रेम के मार्ग का ज्ञान कराते हैंहैं।
 
 
'''व्याख्या-''' रहिमदास कहते हैं कि प्रेम का मार्ग अत्यंत कठिन है सभी उसका निर्वाह नहीं कर सकते प्रेम के मार्ग पर निर्वाह करना कठिन वैसा ही है जैसे मॉम के घोड़े पर बैठकर अग्नि में चलना क्योंकि प्रेम मार्ग में अनेक कठिनाइयां आती हैंहैं।
 
 
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'''प्रसंग-''' रहीम दास कहते हैं कि कोई व्यक्ति जन्म से ही बुद्धिमान या सर्वश्रेष्ठ पैदा नहीं होता हैहै।
 
 
'''व्याख्या-''' रहिमदास कहते हैं कि बैर, प्रीति, अभ्यास और यश यह समस्त चीजें व्यक्ति जन्म से साथ लेकर पैदा नहीं होता है सभी तो अभ्यास, व्यवहार, साधना और अच्छे अचार के परिणाम स्वरूप ही प्राप्त होती है है।
 
 
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'''प्रसंग-''' रहीम दास तीन वस्तु (चीते, चोर, कमान) के माध्यम से उनके महत्व को समझाने ने का प्रयास करते हैंहैं। |इनका चलना कभी भी व्यर्थ नहीं जाताजात
 
 
 
'''व्याख्या-''' चीते का, चोर का और कमान का झुकना अनर्थ से खाली नहीं होता है ।है। मन नहीं कहता कि इनका झुकना सच्चा होता है ।है। चीता हमला करने के लिए झुककर कूदता है ।है। चोर मीठा वचन बोलता है, तो विश्वासघात करने के लिए ।लिए। कमान (धनुष) झुकने पर ही तीर चलाती है है।
 
 
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'''व्याख्या-''' रहीम दास जी कहते हैं कि व्यक्ति को किसी भी चीज की अति नहीं करनी चाहिए |चाहिए। व्यक्ति को अपनी हद में रहते हुए अपनी मर्यादा का पालन करना चाहिए जैसे सैजन के वृक्ष में जब जरूरत से ज्यादा फूल आते हैं तो डाल और पत्ते टूट जाते हैं इसी लिए किसी भी चीज की अति न करो |करो।
 
 
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'''९-''' '''रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ,'''
 
'''जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ ||देइ।।'''
 
 
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'''प्रसंग-''' रहीम कहते हैं की आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं। सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा.देगा।
 
 
'''व्याख्या-''' रहीम जी कहते हैं कि जैसे आंसू आंखों से निकल कर सीधे की पीड़ा को व्यक्त कर देते हैं ठीक उसी प्रकार जिसे आप अपने घर से निकालोगे तो वह भी घर के रहस्य को सभी से जाकर बता देगा जैसे रावण ने विभीषण को घर से निकाला था तो फिर भीषण ने राम से रावण के सारे रहस्य को बता दिया |दिया।
 
 
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'''१०-''' '''‘रहिमन’ प्रीति न कीजिए , जस खीरा ने कीन ।कीन।'''
 
'''ऊपर से तो दिल मिला, भीतर फांकें तीन ॥'''
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'''प्रसंग-''' रहीम दास जी कहते हैं कि व्यक्ति को समझकर और परख कर ही उसे प्रेम करना चाहिए |चाहिए। नहीं तो बाद में वह बहुत दुख देता है |है।
 
 
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'''प्रसंग-''' रहीम दास जी बताते हैं कि प्रेम की राह कितनी कठिन होती है केवल निश्छल ब्यक्ति हीं प्रेम में सफल हो पाते हैंहैं।
 
 
'''व्याख्या-''' रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का रास्ता अत्यंत फिसलन भरा है और हो सकता है जिस में चलने से चींटी के भी पांव फिसलते है तो लोग उसमें बैल लादकर ले जाना चाहते हैं अर्थात धोखे और चालाकी के साथ चलना चाहते हैं| जिसमे सच्चाई है संयम एवं एकाग्रता है वहीं इस मार्ग से जा सकता हैहै।
 
 
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'''प्रसंग-''' रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम का रिश्ता अत्यंत नाजुक डोर से बँधा होता है उसको कभी तोड़ना नहीं चाहिएचाहिए।