"मध्यकालीन भारत/मुग़ल वंश": अवतरणों में अंतर

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== शाह जहाँ (१६२७-१६५८) ==
[[File:Shah Jahan and Mumtaz Mahal.jpg|thumb|मुमताज और शाहज़हां]]जहांगीर के बाद उसके द्वितीय पुत्र 'अल् आजाद अबुल मुजफ्फर शाहब उद-दीन मोहम्मद खुर्रम' ने १६२८ में तख्त संभाला। खुर्रम ने अपना नाम शाहज़हां रखा, जिसका अर्थ होता है 'दुनिया का राजा'। उसने उत्तर दिशा में कंधार तक अपना राज्य विस्तारित किया और दक्षिण भारत का अधिकांश हिस्सा जीत लिया। मुगल शासन शाहजहां के कार्यकाल में अपने सर्वोच्च बिन्दु पर था। शाहज़हां के अवधि में दुनिया को मुगल शासन की कलाओं और संस्कृति के अनोखे विकास को देखने का अवसर मिला। शाहज़हां को वास्तुकार राजा कहा जाता है। शाह जहाँ ने १६१२ में नूरजहाँ के भाई असफ खान की बेटी ''अरजूमन बानू''' से विवाह किया, अपनी इसी पत्नी का नाम उसने ''मुमताज महल'' रखा जिसका अर्थ है ''प्रकाश पूंज''।[[File:TajMahalbyAmalMongia.jpg|thumb|{{विकिपीडिया|ताजमहल}}]]
[[File:Tombs-in-crypt.jpg|thumb|left|ताजमहल के निचले स्तर में मुमताज़ महल और शाहजहाँ की वास्तविक कब्रें]] शाहज़हां ने लाल किला, मोती मस्जिद और जामा मस्जिद जैसी कई वास्तुकला के सुंदर उदाहरण संसार को दिया। इन सब के अलावा शाहज़हां को आज ताज महल के लिए याद किया जाता है, जो उसने आगरा में यमुना नदी के किनारे अपनी प्रिय पत्नी मुमताज के लिए सफेद संगमरमर से बनवाया था। शाहज़हां के वास्तुकला के प्रति प्रेम के कारण ही उसके काल को वास्तुकला की दृष्टि से "स्वर्ण काल" कहा जाता है।<ref>{{cite book |year=2011 |title=Illustrated dictionary of the Muslim world |url=https://archive.org/details/illustrateddicti0000unse |url-access=registration |location=Tarrytown, NY|publisher=Marshall Cavendish Reference |page=[https://archive.org/details/illustrateddicti0000unse/page/136 136] |isbn=978-0-7614-7929-1}}</ref>