वैज्ञानिक विधि/विज्ञान का परिचय
विज्ञान
सम्पादनवर्तमान में विज्ञान की इतनी शाखाएँ हैं, कि कोई भी सभी के बारे में एक बार में नहीं कह सकता है। यह दिन प्रतिदिन और बढ़ती जा रही है। इसी तरह वैज्ञानिक विधि में भी परिवर्तन होता रहता है। जैसे यदि आप जिस वैज्ञानिक विधि का उपयोग पहले खाना बनाने के लिए करते थे। उसके जगह आप पहले से बने कई प्रकार के उपकरण से खाना बनाते हो। इस प्रकार वैज्ञानिक विधि में परिवर्तन होता रहता है।
विधि का स्तर
सम्पादनपहले स्तर में हम केवल उसकी प्रकृति के बारे में जानकारी एकत्रित करते हैं। उसे अच्छी तरह से समझते हैं। उसकी कई समय तक परखने के पश्चात उसमें होने वाले परिवर्तन को भी देखते हैं।
दूसरा स्तर प्रयोग हेतु विधि बनाने का होता है। जिसमें यह तय करना होता है कि किस तरह से विधि पहले ही प्रयास में कार्य कर जाएगी। इससे कई बार प्रयोग विफल होने का कारण पहले ही पता चल जाता है। जिससे पैसे व्यर्थ में नहीं जाते हैं। लेकिन इसके बाद भी कई बार कई प्रकार के चूक और हादसे हो चुके हैं।
तीसरा चरण होता है, विधि का उपयोग करना। इसमें तब तक उसका उपयोग करते हैं, जब तक कि उसे बनाने या करने का सही विधि ज्ञात न हो जाये। जैसे कि खाना बनाने के लिए हमें कितना समय लगता है। इसके लिए कितना चावल और कितना पानी का आवश्यकता पड़ा था। अलग अलग जानकारी को मिला कर तीसरा विधि सम्पन्न होता है। इसके बाद यदि कोई गड़बड़ी नहीं हुई तो इसे वैज्ञानिक विधि घोषित कर दिया जाता है।