शोध कार्य सम्पन्न करने हेतु विभिन्न प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है अतः शोध के कई प्रकार होते हैं जैसे-

अन्तरानुशासनात्मक अनुसन्धान

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वैश्वीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार के दौर में शोध के माध्यम से प्रत्येक शैक्षिक अनुशासन परस्पर संवाद की प्रक्रिया में है। फलतः अन्तरानुशासनात्मक शोध का महत्त्व बढ़ा है। इससे विभिन्न शैक्षिक विषयों का परस्पर आदान-प्रदान संभव हुआ है।

अन्तर-अनुशासनात्मक अनुसन्धान

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अनुसंधान के अंतर्गत जब प्रत्येक विषय को एक पूर्ण इकाई के रूप में भिन्न-भिन्न न लेकर विभिन्न विषयों को एक समूह में रखा जाए, जिनका लक्ष्य एक ही हो अन्तर-अनुशासनात्मक अनुसन्धान कहलाता है। इससे विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों को अधिकतम लाभ मिलता है। यह अनुसंधान समन्वित ज्ञान के विकास में भी सहायक होता है।

साहित्यिक शोध

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वैज्ञानिक शोध

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वैज्ञानिक शोध भौतिक विषय से संबंधित है। इस शोध का वर्णन करते हुए डॉ॰ रवीन्द्र कुमार जैन "साहित्यिक तथा वैज्ञानिक अनुसंधानों में साम्य वैषम्य:साहित्यिक अनुसंधान के आयाम" नामक लेख में लिखते हैं कि—"इस अनुसंधान में ज्ञान वस्तु के माध्यम से प्रतिपादित होता है। वस्तुमूलक अनुसंधान के अंतर्गत किसी वस्तु तत्त्व की महत्त्वपूर्ण शक्तियों का उद्घाटन या आविष्कार किया जाता है। आज विद्युत, रेडियो, चलचित्र, टेलीफोन एवं टेलीविजन आदि इसी शोध के परिणामस्वरूप हमारे समक्ष हैं।"[] इसमें संदेह नहीं कि पूर्णतः तथ्यों पर आधारित होने के कारण इस शोध को वस्तुमूलक अनुसंधान की संज्ञा दी जाती है।

  1. गुप्त, डॉ. उमाकान्त; जोशी, डॉ. ब्रजरतन, संपा. (2016). अनुसंधान:स्वरूप और आयाम (प्रथम संस्क.). नयी दिल्ली: वाणी प्रकाशन. पृप. 56–57. आइएसबीएन 978-93-5072-845-1.