शोध : प्रविधि और प्रक्रिया/शोध सामग्री संकलन
शोध में सामग्री संकलन की प्रविधि और उपादेयता
सम्पादनशोध के दौरान शोधार्थी शोध-सामग्री का संकलन विभिन्न तरीकों से करता है। जैसे-
- साक्षात्कार-साक्षात्कार प्रविधि के द्वारा सामग्री या तथ्य संकलन शोध-प्रबंध को और अधिक जीवंतता प्रदान करता है। इस प्रविधि के अंतर्गत शोधार्थी शोध से संबद्ध व्यक्ति से प्रत्यक्ष रूप से मिलता है तथा अपने प्रश्नों का समाधान पाता है। शोधार्थी के लिए यह आवश्यक है कि वह प्राप्त उत्तर का शोध में तटस्थ रूप से उपयोग करे। विनयमोहन शर्मा के अनुसार-"इतिहास के विस्मृत तथ्य, भाषा की प्रकृति तथा वर्तमान समस्याओं पर विशिष्ट व्यक्तियों के विचारों को जानने का साधन सम्बन्धित व्यक्तियों का साक्षात्कार है।"[१]
- प्रश्नावली-इस प्रविधि के अंतर्गत शोधार्शी अपने शोध-विषय से संबंधित एक प्रपत्र तैयार करता है तथा उसे विभिन्न व्यक्तियों को डाक के द्वारा भेज देता है। प्रश्नावली बनाते समय शोधार्थी द्वारा कुछ बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है जैसे-
- प्रश्न संक्षिप्त होने चाहिए।
- प्रश्न स्पष्ट होने चाहिए।
- एक प्रश्न में अधिक प्रश्नों के समावेश से बचना चाहिए।
प्रश्नावली के दो भेद किए जाते हैं-
- संरचनात्मक-इसका परिचय देते हुए विनयमोहन शर्मा लिखते हैं कि-"संरचनात्मक प्रश्नावली बहुत सोच-समझकर समस्या-सम्बन्धी ठीक उत्तर प्राप्त करने की दृष्टि से रची जाती है; जो असंदिग्ध और निश्चित शब्दों में व्यक्त होती है।"[२]
- असंरचनात्मक-इसके अंतर्गत उत्तरदाता मनमाना उत्तर देने के लिए स्वतंत्र होता है। इसमें प्रश्नकर्ता स्वयं प्रश्न तैयार करके उत्तरदाता के समक्ष प्रस्तुत होता है तथा अपना उत्तर प्राप्त करता है किंतु यह साक्षात्कार पद्धति से ही संभव है। अतः प्रश्नावली के इस भेद को व्यर्थ ठहरा दिया गया।
- सर्वेक्षण-
संदर्भ
सम्पादन- ↑ शर्मा, विनयमोहन (1973). शोध-प्रविधि (PDF) (प्रथम संस्क.). नई दिल्ली: नेशनल पब्लिशिंग हाउस. पृ. 61.
- ↑ शर्मा, विनयमोहन (1973). शोध-प्रविधि (PDF) (प्रथम संस्क.). नई दिल्ली: नेशनल पब्लिशिंग हाउस. पृ. 66-67.