संयुक्त राष्ट्र संघ और वैश्विक संघर्ष/वियतनाम युद्ध
शीतयुद्ध काल में वियतनाम, लाओस तथा कंबोडिया की धरती पर लड़ी गयी भयंकर लड़ाई का नाम वियतनाम युद्ध हैं, जो 1 नवम्बर 1955 से 30 अप्रैल 1975 तक चला। यह प्रथम हिन्दचीन युद्ध के बाद आरम्भ हुआ । यह उत्तरी वियतनाम (कम्युनिस्ट पार्टियों द्वारा समर्थित) तथा दक्षिणी वियतनाम (यूएसए और अन्य साम्यवादविरोधी देशों द्वारा समर्थित) के बीच में लड़ा गया युद्ध हैं।
इसे "द्वितीय हिन्दचीन युद्ध" भी कहते हैं। शीतयुद्ध के दौरान साम्यवादी और विचारधारा के मध्य एक प्रतीकात्मक युद्ध के रूप में इसे देखा जाता है। जहां एक तरफ चीनी जनवादी गणराज्य और अन्य साम्यवादी देशों से समर्थन प्राप्त उत्तरी वियतनाम की सेना तो दूसरी तरफ अमेरिका और मित्र देशों के साथ दक्षिणी वियतनाम की सेना।
वियतनाम युद्ध के चरम पर होने और अमेरिका के मित्र देशों की शक्तिशाली सेना को भली भांति जानते हुए भी 'लाओस' ने अपनी धरती उत्तरी वियतनाम की सेना के लिये मुहैया करा दिया, इस एक निर्णय ने लाओस के भविष्य को बारूद के ढेर के नीचे हमेशा के लिये दबा दिया।
उत्तरी वियतनाम की सेना और छोटे से देश लाओस को सबक सिखाने के लिए अमेरिकी सेना ने यहां सबसे भीषण हवाई हमले की योजना बनाई। अमेरिका की वायुसेना ने दक्षिण पूर्व एशिया के इस छोटे से देश लाओस पर ढेर सारे मात्रा में बम गिराए ।