समसामयिकी नवंबर 2019/अंतरराष्ट्रीय संबंध

अमेरिका नाटो के संचालन बजट में अपने योगदान को कम करेगा(16.35%,) जर्मनी अपनी हिस्सेदारी में इज़ाफा करेगा। अमेरिका द्वारा यह कदम संगठन के यूरोपीय सदस्यों की बार-बार आलोचना के बाद उठाया गया है। नए फार्मूले के तहत यूरोपीय देश और कनाडा का योगदान बढ़ेगा तथा अमेरिका बजट में अपने हिस्से को कमी करेगा।हालाँकि फ्राँस ने नए समझौतों को मानने से इनकार किया है, वह अपनी हिस्सेदारी को 10.5% पर ही बनाए रखेगा। अमेरिका फिलहाल नाटो बजट में 22.1% का योगदान देता है,जबकि जर्मनी की हिस्सेदारी 14.8% है।यह प्रत्येक देश की सकल राष्ट्रीय आय के आधार तय किये गए फार्मूले के तहत होता है। पृष्ठभूमि वर्ष 2014 के वेल्स शिखर सम्मेलन में नाटो के सहयोगी सदस्य देशों ने 10 वर्षों के भीतर रक्षा क्षेत्र में जीडीपी का 2% खर्च करने पर सहमति व्यक्त की थी। जबकि अमेरिका ने ब्रुसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन के सदस्यों से रक्षा क्षेत्र में जीडीपी का 4% तक खर्च बढ़ाने की मांग रखी। अमेरिका की मांग नाटो के रक्षा क्षेत्र में मौजूदा योगदान को 2% के लक्ष्य से बढ़ाकर दोगुना करने की थी। अमेरिका लंबे समय से यूरोपीय नाटो के सदस्य देशों की आलोचना करता रहा है कि वे नाटो के लिये पर्याप्त भुगतान नहीं करते हैं। 2019 तक नाटो के 29 सदस्यों में से केवल आठ सदस्य अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2% रक्षा पर खर्च करने में सक्षम हैं।जर्मनी इस लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा है। उत्तरी सीरिया में कुर्द के खिलाफ यूरोप एवं अमेरिकी और तुर्की के सैन्य अभियान के बीच खराब समन्वय ने नाटो की बिगड़ती स्थिति को बढ़ावा दिया है, इसप्रकार यह नाटो की सक्रियता को पुन: परिभाषित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

मिलन (MILAN) नौसैनिक अभ्यास 2020 की मेज़बानी भारत के द्वारा

सम्पादन
  • मिलन एक द्विवार्षिक बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास की श्रृंखला है जिसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।
  • वर्ष 2018 तक इसका आयोजन अंडमान एवं निकोबार कमान में किया जाता था।
  • दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और यूरोप के ऐसे 41 देशों को इसमें आमंत्रित किया गया है, जिनके साथ भारत के सैन्य संबंध हैं।
  • क्षमता निर्माण,समुद्री क्षेत्र में जागरूकता,प्रशिक्षण,तकनीक,जल सर्वेक्षण और परिचालन अभ्यास आदि क्षेत्रों में सहयोग किया जाता है।