• ओडिशा के माओवादी गढ़ के रूप में प्रसिद्ध मलकानगिरी ज़िले में कट-ऑफ क्षेत्र के रूप में पहचाने जाने वाले स्वाभिमान अंचल (Swabhiman Anchal) में सुरक्षा के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करके विकास सुनिश्चित करने में ओडिशा पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है।

ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले में कट-ऑफ क्षेत्र (Cut-off Area) के रूप में जाना जाने वाला स्वाभिमान अंचल माओवादियों का गढ़ रहा है। यह क्षेत्र तीन तरफ से पानी से तथा दूसरी तरफ एक जटिल दुर्गम क्षेत्र से घिरा हुआ था। जिसके कारण यह लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ रहा था। ओडिशा, आंध्र प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के अधिकतर माओवादी स्वाभिमान अंचल में शरण लेते थे। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में सुरक्षा नेटवर्क मज़बूत होने से विकास से संबंधित गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। जिनमें मुख्य रूप से सड़कों के निर्माण के कारण ऑटो-रिक्शा एवं सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से ओडिशा का यह क्षेत्र विकास की मुख्यधारा में शामिल हो गया है।

  • स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1950 में निवारक निरोधक अधिनियम (Preventive Detention Act-PDA) बनाया गया,जो 31 दिसंबर, 1969 तक लागू रहा।

निवारक निरोध उपायों के रूप में केंद्र तथा राज्य दोनों सरकारें, NSA का उपयोग कर सकती है। NSA के तहत किसी भी व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने हिरासत में रखा जा सकता है। लेकिन सरकार को मामले से संबंधित नवीन सबूत मिलने पर इस समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है।

  • रक्षा मंत्रालय ने 2 अप्रैल 2020 को बताया कि राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps- ) ने एक्सरसाइज एनसीसी योगदान (Exercise NCC Yogdan) के तहत COVID-19 से निपटने में शामिल विभिन्न एजेंसियों के राहत प्रयासों को बढ़ाने हेतु अपने कैडेट्स के अस्थायी रोज़गार के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

दिशा-निर्देशों के अनुसार, कैडेट को कानून एवं व्यवस्था की स्थिति से निपटने या सक्रिय सैन्य कर्तव्यों के लिये या कोरोना संवेदनशील क्षेत्रों में नियोजित नहीं किया जाना चाहिये। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 18 वर्ष से अधिक आयु के केवल वरिष्ठ डिविज़न स्वयंसेवी कैडेटों को ही नियुक्त किया जाएगा और उन्हें भी स्थायी प्रशिक्षक स्टाफ या एक सहयोगी एनसीसी अधिकारी की देखरेख में 8-20 के छोटे समूहों में नियुक्त किया जाना चाहिये। रक्षा मंत्रालय के अनुसार एनसीसी कैडेटों के परिकल्पित कार्यों में हेल्पलाइन प्रबंधन, कॉल सेंटर, राहत सामग्री, दवाएँ, भोजन जैसी आवश्यक वस्तुओं का वितरण, सामुदायिक सहायता, डेटा प्रबंधन एवं सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के लिये कतार में खड़े होने की व्यवस्था करना तथा यातायात प्रबंधन शामिल हैं। स्वैच्छिक सेवा देने के इच्छुक ऐसे कैडेटों की नियुक्ति के लिये राज्य सरकारों, ज़िला प्रशासन को राज्य एनसीसी निदेशालयों के माध्यम से अपनी आवश्यकताएँ प्रेषित करनी होंगी। इसका विवरण एनसीसी निदेशालय, समूह मुख्यालय, इकाई स्तर पर राज्य सरकार, स्थानीय नागरिक प्राधिकरण के साथ समन्वित किया जाएगा। कैडेटों को ड्यूटी पर तैनात करने से पहले ज़मीनी हालात एवं निर्धारित आवश्यकताओं को सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है। राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Corps- NCC): भारत में NCC की स्थापना 15 जुलाई, 1948 को राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 (The National Cadet Corps Act 1948) के तहत हुई थी। NCC का आदर्श वाक्य- एकता और अनुशासन (Unity and Discipline) है, जिसे 12 अक्टूबर, 1980 को आयोजित केंद्रीय सलाहकार समिति में अपनाया गया था। NCC तीन साल की होती है- पहले साल 'A', दूसरे साल 'B' और तीसरे साल 'C' ग्रेड का प्रमाण पत्र दिया जाता है। NCC समूह का नेतृत्व 'लेफ्टिनेंट जनरल' रैंक का अधिकारी करता है और पूरे देश में ऐसे कुल 17 अधिकारी हैं। देश में इसकी कुल 788 टुकड़ियाँ हैं, इनमें से 667 सेना की, 60 नौसेना और 61 वायु सेना की हैं। NCC का मुख्यालय नई दिल्ली में है। गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय के अ​धीन कार्यरत एनसीसी देश का सबसे बड़ा वर्दीवाला युवा संगठन है जो विभिन्न स्तर की सामाजिक सेवा एवं सामुदायिक विकास की गतिविधियाँ संचालित करता है।

  • जियोफेंसिंग(Geofencing):-हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यों को भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 की धारा 5(2) के प्रावधानों के तहत जियो-फेंसिंग (Geofencing) के उल्लंघन के मामले में दूरसंचार विभाग से निर्दिष्ट मोबाइल फोन नंबरों की जानकारी प्राप्त करने के लिये कहा है।

भारत सरकार देशभर में COVID-19 मामलों को ट्रैक करने के लिये भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम (Indian Telegraph Act) के तहत प्रत्येक 15 मिनट में दूरसंचार कंपनियों से सूचनाएँ प्राप्त कर रही है। भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत राज्य या केंद्र सरकार किसी आपात स्थिति या लोक सुरक्षा के हित में उपभोक्ता के मोबाइल फोन डेटा की जानकारी प्राप्त करने के लिये अधिकृत है। COVID-19 क्वारंटाइन चेतावनी प्रणाली (CQAS): इन सूचनाओं के लिये दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications- DoT) ने COVID-19 क्वारंटाइन चेतावनी प्रणाली (COVID-19 Quarantine Alert System- CQAS) नामक एप्लिकेशन के बारे में सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ एक मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SOP) साझा की है। इस एप्लिकेशन के माध्यम से COVID-19 संक्रमित व्यक्ति के क्वारंटाइन से बाहर जाने या आइसोलेशन का उल्लंघन करने की स्थिति में उस व्यक्ति के मोबाइल फोन सेल टॉवर के आधार पर किसी अधिकृत सरकारी एजेंसी द्वारा ई-मेल व एसएमएस अलर्ट के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकेगा। CQAS दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और कंपनियों द्वारा प्रदान किये गए स्थानिक डेटा के आधार पर उन्हें अलग करते हुए मोबाइल नंबरों की एक सूची तैयार करेगा जिससे जियोफेंसिंग का निर्माण किया जा सके। जियोफेंसिंग (Geofencing): जियोफेंसिंग किसी भौगोलिक क्षेत्र के लिये एक आभासी परिधि होती है। यह एक स्थान-आधारित सेवा है जिसमें किसी एप या अन्य सॉफ़्टवेयर जैसे- GPS, RFID, वाई-फाई या सेलुलर डेटा का उपयोग किया जाता है। जब एक मोबाइल डिवाइस या RFID टैग एक भौगोलिक सीमा जिसे जियोफेंस (Geofence) के रूप में जाना जाता है, के आसपास स्थापित एक आभासी सीमा में प्रवेश करता है या बाहर निकलता है तो उस डिवाइस को उसमें इंस्टाल प्रोग्राम के आधार पर ट्रैक किया जा सकता है। जियोफेंसिंग की 300 मीटर की परिधि तक सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है। COVID-19 मामलों को ट्रैक करने हेतु जियोफेंसिंग का उपयोग करने वाले राज्यों में केरल पहला राज्य है। सीमाएँ: जियोफेंसिंग तभी काम करेगी जब क्वारंटाइन व्यक्ति के पास एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया या रिलायंस जियो के नेटवर्क का उपयोग करने वाला मोबाइल फोन हो।

  • 4 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency- NIA) ने असम के बारपेटा में जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (Jama'atul Mujahideen Bangladesh- JMB) संगठन के दो आरोपियों के खिलाफ गुवाहाटी स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पहली अनुपूरक चार्जशीट दायर की।

जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश नामक संगठन पर भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये सदस्यों की भर्ती एवं प्रशिक्षण देने तथा बर्दवान ब्लास्ट केस में शामिल होने जैसे कई आरोप लगाये गए हैं। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency): राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार द्वारा स्थापित एक संघीय जाँच एजेंसी है। इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था। इसका उद्देश्य भारत में आतंकवादी गतिविधियों की जाँच करना है। यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी (Central Counter Terrorism Law Enforcement Agency) के रूप में कार्य करती है। यह निम्नलिखित मामलों में अपराधों की जाँच एवं अभियोग चलाने की केंद्रीय एजेंसी है: भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को प्रभावित करने वाले अपराध। परमाणु और परमाणु प्रतिष्ठानों के विरुद्ध अपराध। उच्च गुणवत्तायुक्त नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी। यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों और संयुक्त राष्ट्र एवं इसकी एजेंसियों ​​तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रस्तावों का कार्यान्वयन करती है। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में तथा क्षेत्रीय शाखाएँ हैदराबाद, गुवाहाटी, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, रायपुर और जम्मू में हैं। हाल ही में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 में संशोधन करते हुए संसद द्वारा राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2019 पारित किया गया। जिसमें NIA को अतिरिक्त आपराधिक मामलों जैसे- जाली मुद्रा या बैंक नोटों से संबंधित अपराध, प्रतिबंधित हथियारों का निर्माण या बिक्री, साइबर आतंकवाद, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम (Explosive Substances Act), 1908 के तहत अपराधों की भी जाँच करने की अनुमति देने का प्रावधान किया गया है।

  • क्वालकॉम टेक्नोलॉजीज (Qualcomm Technologies) ने भारतीय क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली- नाविक (NavIC) की सुविधा प्रदान करने वाली एक मोबाइल चिपसेट का अनावरण किया है।

उपयोगकर्त्ता ऐसे मोबाइल चिपसेट से युक्त नाविक का उपयोग भारतीय क्षेत्र एवं इसके पड़ोसी देशों में कर सकेंगे। मुख्य बिंदु: चिपसेट जारी करने से स्मार्टफोन ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEM) द्वारा नाविक के उपयोग में वृद्धि होगी। ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एक कंपनी है जो स्मार्टफोन के पार्ट्स एवं उपकरणों जिन्हें किसी अन्य कंपनी द्वारा निर्मित किया जाता है, को खरीदती है। अब ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स भारतीय बाज़ार के लिये किसी भी नए मॉडल को जारी कर सकते हैं जो नाविक के अनुकूल होगा। इस प्रकार आगामी हैंडसेट, एप्लीकेशन, प्रोसेसर, आदि में एक मानक विशेषता के रूप में नाविक उपलब्ध रहेगा। कई मोबाइलों में नाविक की उपलब्धता से इस क्षेत्र (भारतीय उपमहाद्वीप) में स्मार्टफोन की जियोलोकेशन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। अपराध के खिलाफ मदद करने में सक्षम: अप्रैल 2019 में भारत सरकार द्वारा निर्भया मामले में दिए गए फैसले के अनुसार, देश के सभी वाणिज्यिक वाहनों के लिये नाविक आधारित वाहन ट्रैकर्स को अनिवार्य कर दिया गया है। नाविक युक्त मोबाइल होने से सभी वाणिज्यिक वाहनों में वाहन ट्रैकिंग सिस्टम और पैनिक बटन लगाने में मदद मिलेगी। भारत की सार्वजनिक वाहन ट्रैकिंग प्रणाली में नाविक अहम भूमिका निभाएगा क्योंकि यह ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (GPS) जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियों के विपरीत वाहनों की निगरानी के लिये स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सुविधा प्रदान करता है। नाविक के अलावा यह चिपसेट व्यापक रूप से इस्तेमाल किये जाने वाले ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के भी अनुकूल होगा।

  • भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने संयुक्त रूप से जोगबनी-बिराटनगर सीमा पर एकीकृत चेक पोस्ट (Integrated Check Post-ICP) का उद्घाटन किया।

मुख्य बिंदु: भारत-नेपाल के मध्य जोगबनी-बिराटनगर सीमा पर स्थित एकीकृत चेक पोस्ट से दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों की आवाजाही को सुविधा होगी। इस चेक पोस्ट का निर्माण भारत द्वारा किया गया है। यह एकीकृत चेक पोस्ट आधुनिक सुविधाओं से युक्त है। गौरतलब है कि जोगबनी-बिराटनगर सीमा पर यह चेक पोस्ट भारत और नेपाल के बीच एक महत्त्वपूर्ण व्यापार बिंदु है। यह नेपाल सीमा पर दूसरा एकीकृत चेक पोस्ट है। पहला एकीकृत चेक पोस्ट वर्ष 2018 में रक्सौल-बीरगंज सीमा पर बनाया गया था। इस अवसर पर भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की ‘पड़ोसी पहले’ (Neighbourhood First) की नीति के तहत सीमा पार कनेक्टिविटी में सुधार करना इस नीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है।